व्हाइट फंगस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज aasan bhasha mein
व्हाइट फंगस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज aasan bhasha mein
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कोरोना महामारी की दूसरी लहर अभी जारी है इसी बीच ब्लैक फंगस के मरीज काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। दिल्ली समेत अन्य राज्यों में लोगों में तेजी से बढ़ रहे ब्लैक फंगस को देखते हुए राज्यों में इसे महामारी घोषित करने पर विचार हो रहा है। अभी विशेषज्ञ ब्लैक फंगस के इलाज और उसके खात्मे को लेकर रिसर्च कर ही रहे है कि अचानक व्हाइटफंगस यानी म्यूकरमाइकोनिस के मरीजों के आने की शुरूआत हो चुकी है। विशेषज्ञ के अनुसार ये वाइट फंगस ब्लैक फंगस संक्रमण से अधिक घातक हैं क्योंकि ये मनुष्य के मस्तिष्क और फेफड़ों को अपनी चपेट में लेकर प्रभावित करता है। केवल एक अंग नहीं, बल्कि फेफड़ों और ब्रेन से लेकर हर अंग पर असर डालता है। किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय लखनऊ (केजीएमयू) की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सीनियर डाक्टर शीतल वर्मा से जानिए ये व्हाइट जानें किन अंगो पर होता है असर
केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सीनियर डाक्टर शीतल वर्मा के अनुसार इसकी जल्द पहचान कर इसका तुरंत इलाज किया जा सकता है। कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीज जो लंबे समय तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे उनमें ये वाइट फंगस मिला है। हालांकि ये पहले भी कैंसर, एसचआईवी मरीजों में देखा गया है। अगर जल्द इलाज शुरू हो जाता है तो मरीज को खतरा नहीं होता है।
व्हाइट फंगस कैसे शरीर में करता है प्रवेश
इसे कैंडिडा भी कहते है कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में होता है, विशेष रूप से मधुमेह, एचआईवी पेसेन्ट या स्टेरॉयड का प्रयोग। ये संक्रमण जो खून के माध्यम से शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है। ये बीमारी म्यूकॉरमाइसाइट्स नामक फफूंद से होती है जो नाक के माध्यम से बाकी अंग में पहुंचती है। ये फंगस हवा में होता है जो सांस के जरिए नाक में जाता हैइसके अलावा कई दूसरे लक्षण भी दिखते हैं
संक्रमण अगर शरीर के जॉइंट्स पर असर करे तो उनमें दर्द होने लगता है. ब्रेन तक पहुंचा तो सोचने विचारने की क्षमता पर असर दिखता है. मरीज जल्दी फैसला नहीं ले पाता और बोलने में भी दिक्कत होने लगती है. इसके अलावा सिर में तेज दर्द के साथ उल्टियां हो सकती हैं. स्किन में रक्त के जरिए फैलने पर छोटे-छोटे फोड़े हो सकते हैं, जो आमतौर पर दर्दरहित होते हैं. ये संक्रमण का शुरुआती लक्षण है.
तब बढ़ जाता है खतरा
फेफड़ों पर असर होने पर कोरोना जैसे लक्षण दिखने पर कई बार लोग बगैर जांच के खुद को कोरोना संक्रमित मान लेते हैं और घर पर ही दवाएं करने लगते हैं, इससे हालात बिगड़ जाते हैं. संक्रमण शरीर के मुख्य अंगों को अपनी चपेट में ले लेता है और मरीज की ऑर्गन फेल होने से मौत भी हो सकती है.
तो इतना खतरनाक फंगल इंफेक्शन आखिर होता क्यों हैं?
जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है, उन्हें ये संक्रमण हो सकता है अगर वे संक्रमित वनस्पतियों या फिर दूषित पानी के संपर्क में आएं. इसके अलावा कोविड संक्रमित गंभीर मरीज, जिन्हें ऑक्सीजन चढ़ाई जा रही हो, उन्हें भी संक्रमण हो सकता है, अगर नाक या मुंह पर लगे उपकरण फंगलयुक्त हों. इसके अलावा उन लोगों में इसका खतरा ज्यादा रहता है जो डायबिटीज के मरीज हैं, या फिर लंबे समय तक स्टेरॉयड ले रहे हैं.
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